Saturday, January 8, 2022

पाठ 7 तुलसी के दोहा

 दोहों का सारांश / भावार्थ : ದೋಹಗಳ ಸಾರಾಂಶ:

1. मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक ।

पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक ॥ April 2020 Sept 2020

भावार्थ : प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास कहते हैं- जिस तरह मुँह खाने-पीने का काम अकेले करते हुए, शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण करता है, उसी तरह मुखिया भी काम अपनी तरह से करें लेकिन उसका फल सभी को मिले।

ತುಳಸಿದಾಸರು ಮುಖ ಮತ್ತು ಮುಖ್ಯಸ್ಥ ಇಬ್ಬರ ಸ್ವಭಾವನ್ನು ಸಮಾನತೆಯಿಂದ ಕಾಣುತ್ತಾರೆ. ಮುಖ್ಯಸ್ಥನಾದನು ಮುಖದಂತೆ ಇರಬೇಕು. ಮುಖವು ತಿನ್ನುವ ಕುಡಿಯುವ ಕೆಲಸ ಒಂದೇ ಮಾಡುತ್ತದೆ. ಆದರೆ ಅದು ತಿನ್ನುವುದು ಕುಡಿಯುವುದರಿಂದ ಅದರ ಶರೀರದ ಎಲ್ಲ ಅಂಗಗಳ ಪಾಲನೆ-ಪೋಷಣೆ ಯಾಗುತ್ತವೆ. ತುಳಸಿದಾಸರ ಅಭಿಪ್ರಾಯದಲ್ಲಿ ಮುಖ್ಯಸ್ಥನಾದನು ಮುಖದಂತೆ ವಿವೇಕವಾನನಾಗಿರಬೇಕು. ಅವನು ಕೆಲಸ ಕಾರ್ಯಗಳನ್ನು ಮುಖದ ಮುಖದ ತರಹ ಯಾವುದೇ ಫಲಾಪೇಕ್ಷೆಯಿಲ್ಲದೆ ಮಾಡುತ್ತಾ ಸಮಾಜದ ಎಲ್ಲಾ ಜನರಿಗೆ ಸಮಾನ ರೂಪದಲ್ಲಿ ನೀಡಬೇಕು.

2. जड, चेतन, गुण दिषमय, विस्व कीन्ह करतार |

संत-हंस गुण गहहिं पय, परिहरि वारि विकार ॥        

भावार्थ : प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास कहते हैं- सृष्टिकर्ता इस दुनिया को अच्छे-बुरे एवं गुण-दोषमय मिलाकर बनाया है। लेकिन हम, हंस रूपी साधु की तरह विकारों को छोड़कर अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए ।

ಈ ಪ್ರಸ್ತುತ ದೂರದಲ್ಲಿ ತುಳಸಿದಾಸರು ಹೇಳುತ್ತಾರೆ. ಸಂತ ರಾದವರು ಹಂಸಪಕ್ಷಿಯ ತಾರನಾಗಿರುತ್ತಾರೆ. ಸೃಷ್ಟಿಕರ್ತ ಭಗವಂತನು ಈ ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ಸಜೀವ - ನಿರ್ಜೀವ ವಸ್ತುಗಳ ಜೊತೆಗೆ ಗುಣದೋಷಗಳನ್ನು ತುಂಬಿದ್ದಾನೆ. ಇದರ ಅರ್ಥ ಇಷ್ಟೇ - ಈ ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ಒಳ್ಳೆಯದು-ಕೆಟ್ಟದ್ದುತಿಳಿದ - ತಿಳಿಯಲಾರದ  ರೂಪದಲ್ಲಿ ಕೆಲವು ಗುಣ ದೋಷಗಳು ತುಂಬಿವೆ. ಹಂಸ ಪಕ್ಷಿ ಹೇಗೆ ನೀರಿಲ್ಲದ ಬಿಟ್ಟು ಬರೀ ಹಾಲನ್ನು ಹೇಗೆ ಇರುತ್ತದೆಯೋ ಹಾಗೆ ಸಂತ ಜನರು ನೀರನ್ನು ರೂಪದಲ್ಲಿರುವ ವಿಕಾರವನ್ನು ಬಿಟ್ಟುಹಾಲಿನ ರೂಪದಲ್ಲಿರುವ ಒಳ್ಳೆಯ ಗುಣಗಳನ್ನು ತಮ್ಮದಾಗಿಸಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಾರೆ.

3. दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान |

तुलसी दया न छाँडिये, जब लग घट में प्राण ॥

June 2015 June 2016 April 2017 June 2018, April 2019, June 2019.

भावार्थ : प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास कहते हैं- दया धर्म का मूल है और पाप का मूल अभिमान है। इसलिए मनुष्य के शरीर में जब तक प्राण है, तब तक अपना अभिमान छोडकर दयालु बने रहना चाहिए।

ತುಳಸಿದಾಸರು ಸ್ಪಷ್ಟವಾಗಿ ಹೇಳುತ್ತಾರೆ. ದಯವೇ ಧರ್ಮದ ಮೂಲ  ಮತ್ತು ಅಭಿಮಾನ ಪಾಪದ ಮೂಲವೆಂದು. ಆದ್ದರಿಂದ ಕವಿಗಳು ಹೇಳುತ್ತಾರೆ. ಎಲ್ಲಿಯವರೆಗೂ ಶರೀರದಲ್ಲಿ ಪ್ರಾಣ ಇರುತ್ತದೇಅಲ್ಲಿಯವರೆಗೂ ಮನುಷ್ಯನಾದವನು ತನ್ನ ಅಭಿಮಾನವನ್ನು ಬಿಟ್ಟು ದಯವಂತನಾಗಿರಬೇಕು

                                               

1.   4. तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।

साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसो एक ॥ Apr 2015 Jun 2017 Apl 2018,

भावार्थ : प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास कहते हैं- मनुष्य पर जब विपत्ति पडती है, तब उसकी विद्या, विनय तथा विवेक ही उसका साथ निभाते हैं। जो राम पर भरोसा करने वाला साहसी, सत्यवान बनता है।

ತುಳಸೀದಾಸರು ಹೇಳುತ್ತಾರೆ - ಮನುಷ್ಯನ ಯಾವಾಗ ಕಷ್ಟದಲ್ಲಿ ಬೀಳುತ್ತಾನೆಆಗ ವಿದ್ಯೆವಿನಯಮತ್ತು ವಿವೇಕಗಳು ಅವನ ಜೊತೆ ನಿಂತು ಕಷ್ಟವನ್ನು ನಿಭಾಯಿಸುತ್ತವೆ. ಯಾರು ರಾಮನ ಮೇಲೆ ಭರವಸೆಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತಾರೆ. ಅಂತವರು ಯಾವಾಗಲೂ ಸತ್ಯವಂತರು ಹಾಗೂ ಸುಕೃತ್ಯರಾಗಿರುತ್ತಾರೆ.

2.   5. राम नाम मनि दीप धरु, जीह देहरी द्वार |

3.   तुलसी भितर बाहिरौ, जो चाहसी उजियार ॥ April 2016

भावार्थ: प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास कहते हैं जिस तरह देहरी पर दीया रखने से घर के भितर तथा आँगन में प्रकाश फैलता है, उसी तरह राम नाम जपने से मानव की आंतरिक और बाह्य शुद्धि होती है ।

ಇಲ್ಲಿ ತುಳಸಿದಾಸರು ರಾಮ ನಾಮದ ಮಹಿಮೆಯ ಕುರಿತು ಹೇಳುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಯಾವ ರೀತಿಯಾಗಿ ಮನೆಯ ಹೊಸ್ತಿಲ ಮೇಲೆ ದೀಪವನ್ನು ಇಡುವುದರಿಂದಮನೆಯ ಒಳಗೆ ಮತ್ತು ಹೊರಗೆ ಬೆಳಕನ್ನು ಹರಡುತ್ತದೆಅದೇ ತರನಾಗಿ ಹೊಸ್ತಿಲ ರೂಪದ ನಾಲಿಗೆಯ ಮೇಲೆ ರಾಮನಾಮದ ಜ್ಯೋತಿಯ ನೀಡುವುದರಿಂದ ಮನಸಿನ ಒಳಗೆ ಮತ್ತು ಮನದ ಹೊರಗೆ ಜ್ಞಾನ ರೂಪದ ಬೆಳಕು ಹರಡುತ್ತದೆ. ರಾಮನಾಮ ಜಪಿಸುವುದರಿಂದ ಮನುಷ್ಯನ ಅಂತರಂಗ ಮತ್ತು ಬಹಿರಂಗ ಶುದ್ಧಿಯಾಗುತ್ತದೆ.


क वाक्य में उत्तर लिखिए:

1.   तुलसीदास मुख को क्यों मानते हैं ?
उत्तर: तुलसीदास शरीर को क्षणिक मानते हैं।

2.   मुखिया को किसके समान रहना चाहिए ?
उत्तर: मुखिया को मुख के समान रहना चाहिए।

3.   हंस का गुण कैसा होता है ?
उत्तर:हंस का गुण दूध को ग्रहण करके पानी को छोडता हैं। हंस का गुण यह है कि वह सारहीन वस्तु को छोडकर अच्छे को अपनाता है।

4.   मुख किसका पालन-पोषण करता है ?
उत्तर: मुख शरीर के सकल अंगों का पालन-पोषण | करता है।

5.  दया किसका मूल है ?
उत्तर: दया धर्म का मूल है।

6.   तुलसीदास किस शाखा के कवि हैं ?
उत्तर: तुलसीदास राम-भक्ति शाखा के कवि हैं।

7.   तुलसीदास के माता-पिता का नाम क्या था ?
उत्तर: तुलसीदास के माता-पिता का नाम हुलसी और आत्माराम दुबे था।

8.   तुलसीदास के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर: तुलसीदास के बचपन का नाम रामबोला था।

9.  पाप का मूल :क्या है ?

उत्तर: पाप का मूल अभिमान है।

10 तुलसीदास के अनुसार विपत्ति के साथी कौन हैं ?

उत्तर: तुलसीदास के अनुसार विपत्ति के साथी विद्याविनय और विवेक हैं।


दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :

1.मुखिया को मुख के समान होना चाहिए। कैसे?
उत्तर: मुखिया को मुख के समान होना चाहिए। मुँह खाने-पीने का काम अकेला करता है, लेकिन वह जो खाता-पीता है, उससे शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण होता है। तुलसी की राय में मुखिया को भी ऐसे ही विवेकशील होना चाहिए कि वह सबके हित में काम करें।

2.मनुष्य को हंस की तरह क्या करना चाहिए?
अथवा
तुलसीदास के अनुसार मनुष्य को हंस से क्या सीखना चाहिए?
उत्तर: जिस प्रकार हंस पक्षी सारहीन या पानी को छोडकर दूध या सार को ग्रहण करता है उसी प्रकार मनुष्य को पानी रूपी विकार गुणों को छोडकर दूध रूपी अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।
             

3.मनुष्य के जीवन में प्रकाश कब फैलता है?
उत्तर: जब मनुष्य अपने देहलीज रूपी जीभ पर राम नाम रूपी ज्योति रखता है तब उसके मन के अन्दर और बाहर ज्ञानरूपी प्रकाश फैलता है। जब वह रामनाम क जपता है या स्मरण करता है तब मनुष्य के जीवन में चारों ओर ज्ञानरूपी प्रकाश फैलता है।


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